The best Side of Shodashi
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कस्तूरीपङ्कभास्वद्गलचलदमलस्थूलमुक्तावलीका
अष्टैश्वर्यप्रदामम्बामष्टदिक्पालसेविताम् ।
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प्राण प्रतिष्ठा में शीशा टूटना – क्या चमत्कार है ? शास्त्र क्या कहता है ?
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥८॥
ईड्याभिर्नव-विद्रुम-च्छवि-समाभिख्याभिरङ्गी-कृतं
सर्वज्ञादिभिरिनदु-कान्ति-धवला कालाभिरारक्षिते
बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।
भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।
लक्ष्या या चक्रराजे नवपुरलसिते योगिनीवृन्दगुप्ते
अकचादिटतोन्नद्धपयशाक्षरवर्गिणीम् ।
Disregarding all caution, she went towards the ceremony and found her father experienced started the ceremony with out her.
इति द्वादशभी श्लोकैः स्तवनं सर्वसिद्धिकृत् ।
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी हृदय स्तोत्र click here संस्कृत में – tripura sundari hriday stotram